नफरतों के सैलाब को रोकने के लिए बनाएंगे मुहब्बत का बांध
बाबा ताजुद्दीन के 100वें सालाना उर्स पर विश्व सूफी कांफ्रेंस एवं कौमी एकता कांफ्रेंस का आयोजन
नागपुर : हजरत बाबा सैयद मोहम्मद ताजुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह का 100वां सालाना उर्स उत्साह व अकीदत से मनाया जा रहा है. इसी उपलक्ष्य में हजरत बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट एवं ऑल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार 3 सितंबर को ताजाबाद दरगाह परिसर में विश्वसूफी कांफ्रेंस व कौमी एकता कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है.
पहला कार्यक्रम कौमी एकता कांफ्रेंस दोपहर 2 बजे आरंभ होगा. जबकि दूसरा कार्यक्रम विश्व सूफी कांफ्रेंस रात 10 बजे आयोजित होगी. यह जानकारी कार्यक्रम की आयोजक हजरत बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट के चेयरमैन प्यारे खान एवं सचिव ताज अहमद राजा ने दी. उन्होंने कहा की इस आयोजन का मकसद बढ़ते हुए नफरत के माहौल को रोकना है.
कांफ्रेंस में मुख्य वक्ता के रूप में पीर सैयद मोहम्मद अशरफ अशरफी जिलानी, पीर सैयद आलमगीर अशरफ अशरफी जिलानी, सैयद सलमान चिश्ती (अजमेर), मुफ़्ती मंजर हसन अशरफी, मुफ्ती सैयद आले मुस्तफा कादरी, मौलाना सैयद तनवीर हासमी, मौलाना डॉ. सैयद शाह शमिमुद्दीन मुनामी, प्रो. ख्वाजा इकरामुद्दीन (दिल्ली), गोस्वामी सुशील महाराज (उत्तर प्रदेश), ब्रम्हेशानन्द आचार्य, स्वामी चिदानंद महाराज (परमार्थ आश्रम), भिक्खू संघसेना (लद्दाख), कैथोलिक बिशप ऑफ इंदिन (मुंबई) के ओसवाल्ड ग्रेसिया, गुलाम रसूल देहलवी, सैयद मकसूद अशरफ, परमजीत सिंह चंडोक, स्वामी सारंग महाराज, स्वामी मोहन जी, नजीब जंग, आचार्य रामगोपाल उपस्थित रहेंगे.
मजहबो उन्माद को रोकना जरूरी …..
कार्यक्रम के कनवीनर एवं इंटरनेशनल सुन्नी सेंटर के चेयरमैन मौलाना आलमगीर अशरफ ने जानकारी देते हुए बताया कि इस आयोजन के माध्यम से लोगों तक सूफियों के सही पैगाम को पहुंचाना है, जोकि मानवता की सेवा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का माहौल देश में बनाया जा रहा है इससे भारत भूमि को नुकसान हो रहा है. भारतीय संस्कृति और भारतीय परिवेश का मूल तत्व अनेकता में एकता है, जिसे कसरत में वहदत कहते हैं और उसका परिणाम आपसी भाईचारा और प्रेम है. यदि मजहबी उन्माद को रोका नहीं गया तो भारत की संस्कृति को गहरा आघात लगेगा. जिस तरह सिर्फ एक ही तरह के फूल यदि चमन में हों तो उकताहट होती है, वैसे ही भारत एक गुलशन है जिसमें अलग-अलग धर्म, विचार, भाषा सब एक साथ चलते हैं. जो भारत भूमि को एक ऐसा गुलदस्ता बनाते हैं जो सभी को रिझाता है.
उन्होंने बताया कि बाबा ताजुद्दीन की दरगाह पर आयोजित यह कार्यक्रम दो भागों में होना है. एक में कौमी एकता कांफ्रेंआ और दूसरे में वर्ल्ड सूफी फोरम इंटरनेशनल सूफी कांफ्रेंस होगी. इन कार्यक्रमों में सभी धर्मों के धर्माचार्य एक जगह मिलकर देश को मुहब्बत का संदेश देंगे और हाल ही में देश में हुई नफरत फैलाने वाली घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अपने विचार रखेंगे. ताकि देश में नफरतों के सैलाब को रोकने के लिए मुहब्बत का बांध बनाया जा सके.