कचरे के ढ़ेर में खेलते है बच्चे !
नागपूर : कचरे के ढेरों में बच्चों के खेलने की स्थिति सामाजिक, आर्थिक समस्याओं से जुड़ी है, गरीबी का यह जिता जागता दृष्य है. जहाँ पढ़ाई करने की उम्र है वहा ये बच्चे कचरे के ढेर में खेलते नजर आ रहे है. सरकार ने ऐसे बच्चों की और ध्यान देना जरूरी है.
नागपुर के कॉटन मार्केट रेलवे स्टेशन स्थित कचराघर का यह जिता जागता नजारा है. फल व्यापारी खराब फ्रुट को कचरे में फेक देता है. इन फलों का पॅकिंग साहित्य भी कचरे में फेकते है. फुटपाथ में जिंदगी गुजारने वालों के बच्चे पेट की आग बुझाने के लिए कचरे में फेका फल उठाकर खाते है. और कचरे के ढेर को हि खेल का मैदान समज कर दिनभर कुड़ेकचरे में खेलते रहते है.
उनकी पढ़ाई की उम्र कचरे में ढ़ह जाती है. ये बच्चे कल का भविष्य है. उनका पुनर्वास होना जरूरी है. बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार कई योजनाएं चलाती है. सरकार के लाख प्रयास के बावजूद आज भी जिले में हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित है, यह सत्य है.