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महाराष्ट्र राज्य माहिती आयोग में ८३००० से अधिक मामले प्रलंबित – अग्रवाल

दम तोड़ देगा सूचना का अधिकार कानून

मुंबई : भ्रष्टाचार विरोधी जन मन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जल्द निबटारा नही होने के कारण सूचना का अधिकार कानून  मानो दम तोड़ रहा है। राज्य माहिती आयोग में जून २०२२ तक ८६३७७ मामले/शिकायतें प्रलंबित है।

महाराष्ट्र राज्य माहिती आयोग की जन माहिती अधिकारी शिल्पा देशमुख ने एक आरटीआई आवेदन के लिखित जवाब में बताया  की राज्य के मुम्बई (मुख्य) में १३१५३, बृहमुंबई खंडपीठ में ५५४९,
कोंकण खंडपीठ में ५२६८,  पुणे खंडपीठ में २०५१०,  औरंगाबाद खंडपीठ में १७५५४, नासिक खंडपीठ में ७७८७, नागपुर खंडपीठ में ४९०३ व अमरावती खंडपीठ
में ११६५३ ऐसी कुल ८६३७७ दिव्तीय अपील/शिकायत प्रलंबित है।

आयोग को जून २०२२ में कुल ३४५५ नई अपील/ शिकायते प्राप्त हुई जिसमें से मुम्बई (मुख्य) को २७६, बृहमुंबई खंडपीठ को ४८७, कोंकण खंडपीठ को २७५,
पुणे खंडपीठ को ६८७,  औरंगाबाद खंडपीठ को ७५७, नासिक खंडपीठ को ३९४, नागपुर खंडपीठ को २९६ व अमरावती खंडपीठ को २८३ प्राप्त हुई।

आयोग ने मई, २०२२ में कुल २८८३ आदेश पारित किये जिसमे से २३६७ अपील व ५१६ अन्य शिकायते थी। मुम्बई (मुख्य) ने १२७, बृहमुंबई खंडपीठ ने २९०, कोंकण
खंडपीठ ने २४७,  पुणे खंडपीठ ने ४७३,  औरंगाबाद खंडपीठ ने ४१२, नासिक खंडपीठ ने ५४४, नागपुर खंडपीठ ने ४६५ व अमरावती खंडपीठ ने ३२२ मामले ही निपट पाये।

श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि वर्ष २००५ में सूचना का अधिकार कानून इस नियत से बनाया गया था कि भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर लगाम लगेगी परंतु अब ऐसा कुछ होता दिखाई नही दे रहा है। विभिन्न सरकारी विभागों के माहिती अधिकारी व प्रथम अपीलीय अधिकारी जानबूझकर लोगों के आवेदन निरस्त कर देते है ।

या उन्हें कोई उत्तर ही नही देते क्योंकि उन्हें मालूम है कि राज्य माहिती आयोग में 3-4 वर्ष के पहले द्वितीय अपील नही लगती इसी का फायदा अधिकारी भ्रष्टाचारियो को बचाने के लिए उठा रहे है। ऐसे में सरकार ने तत्काल आयुक्तों की संख्या बढ़ानी चाहिए जिससे लोगो के आवेदनों का जल्द निबटारा हो सके और जनता को न्याय मिल सके।

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